शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) फिल्म महोत्सव के तीसरे दिन “संस्कृतियों, चरित्रों और देशों का सहयोग” विषय पर एक इंटरैक्टिव सत्र आयोजित किया गया। इस पैनल में अर्मेनिया के प्रशंसित निर्देशक गरुश ग़ज़रयान और हयेक ऑर्दयान और कजाकिस्तान के निर्देशक बोलात कलेमबेतोव शामिल थे। इस सत्र का संचालन किर्गिस्तान की निर्देशक और टीवी प्रस्तोता गुलबारा टोलोमुशोवा ने किया।

बोलात कलेमबेतोव ने वर्तमान समय में प्यार और दोस्ती की कम होती भावनाओं को फिर से जगाने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने मुकागली जैसी रेट्रो फिल्में बनाकर ऐसा करने के अपने प्रयास के बारे में बात की। हयेक ऑर्दयान ने इस चर्चा में जोड़ा कि फिल्में किस प्रकार सिने परदे पर प्यार और दोस्ती जैसी मानवीय भावनाओं को चित्रित करने की कोशिश करती हैं। हयेक ऑर्दयान ने कहा कि कोविड के बाद इंसानों के बीच अंतर-वैयक्तिक संबंधों का विषय सबसे आगे आ गया है।

आगे की बातचीत में गरुश ग़ज़रयान ने एससीओ क्षेत्र में अधिक तालमेल के लिए अभिनेताओं, निर्देशकों और निर्माताओं के बीच सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने शॉर्ट फिल्मों की उभरती भूमिका पर भी खासतौर पर ध्यान केंद्रित किया।

पैनल के सदस्यों ने तत्कालीन सोवियत क्षेत्र में “आवारा” और “मेरा नाम जोकर” जैसी राज कपूर की बेहद लोकप्रिय फिल्मों की प्यारी यादों का जिक्र करते हुए सत्र समाप्त किया। बोलात कलेमबेतोव ने आने वाले दिनों में उसी उत्साह और सहयोग को फिर से जगाने की आवश्यकता पर बल दिया।

 

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