प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को मध्य प्रदेश के रीवा में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस को संबोधित किया।सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने देश भर से 30 लाख से अधिक पंचायत प्रतिनिधियों की आभासी उपस्थिति का उल्लेख किया और कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र की एक साहसिक तस्वीर प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि यहां उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति के कार्य का दायरा अलग हो सकता है, लेकिन देश की सेवा के माध्यम से नागरिकों की सेवा करने के सामान्य लक्ष्य के लिए सभी काम करते हैं। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि पंचायतें गांव और गरीब-गांवों और गरीबों के लिए सरकार की योजनाओं को पूरे समर्पण के साथ लागू कर रही हैं। इस अवसर पर उन्होंने लगभग 17000 करोड़ रूपये की परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी।

पंचायत स्तर पर सार्वजनिक खरीद के लिए eGramSwaraj और GeM पोर्टल का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे पंचायतों के कामकाज में आसानी होगी। उन्होंने मध्य प्रदेश के विकास के लिए रेलवे, आवास, पानी और रोजगार से संबंधित 35 लाख स्वामित्व संपत्ति कार्ड और 17000 करोड़ की परियोजनाओं के वितरण का भी उल्लेख किया।

2014 से पहले पिछली सरकारों द्वारा किए गए प्रयासों की कमी पर प्रकाश डालते हुए, प्रधान मंत्री ने बताया कि वित्त आयोग ने 70,000 करोड़ से कम की राशि दी, जो कि देश के पैमाने पर विचार करने पर बहुत कम राशि थी, लेकिन 2014 के बाद इस अनुदान को बढ़ा दिया गया। 2 लाख करोड़ से अधिक। उन्होंने यह भी कहा कि 2014 से एक दशक पहले मात्र 6000 पंचायत भवनों का निर्माण किया गया था, जबकि वर्तमान सरकार ने पिछले 8 वर्षों में 30,000 से अधिक पंचायत भवनों का निर्माण किया है।
महात्मा गांधी के शब्दों कि ‘भारत अपने गांवों में बसता है’ को याद करते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि पिछली सरकार ने उनकी विचारधारा पर शायद ही कोई ध्यान दिया, जिसके परिणामस्वरूप पंचायती राज दशकों तक उपेक्षित रहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पंचायतें भारत के विकास की संजीवनी बनकर सामने आ रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “ग्राम पंचायत विकास योजना पंचायतों को प्रभावी ढंग से काम करने में मदद कर रही है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार गांवों और शहरों के बीच की खाई को पाटने के लिए लगातार काम कर रही है। डिजिटल क्रांति के इस युग में पंचायतों को स्मार्ट बनाया जा रहा है। पंचायतों द्वारा चलाई जा रही परियोजनाओं में प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने अमृत सरोवर का उदाहरण दिया जहां साइटों के चयन और परियोजना को पूरा करने जैसे मुद्दों को प्रौद्योगिकी की मदद से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायत स्तर पर सार्वजनिक खरीद के लिए जीईएम पोर्टल पंचायतों द्वारा खरीद को आसान और पारदर्शी बनाएगा। प्रधान मंत्री ने कहा कि स्थानीय कुटीर उद्योग अपनी बिक्री के लिए एक मजबूत अवसर तलाशेंगे।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जिन गांवों में देश की आधी आबादी निवास करती है, वहां भेदभाव करने से देश आगे नहीं बढ़ सकता। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था, गांवों में सुविधाएं और गांवों के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। उन्होंने कहा कि उज्ज्वला और पीएम आवास जैसी योजनाओं ने गांवों में गहरा प्रभाव छोड़ा है। उन्होंने कहा कि 4.5 करोड़ घरों में से पीएमएवाई के 3 करोड़ घर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और वह भी ज्यादातर महिलाओं के नाम पर हैं।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि पंचायतों को कृषि की नई प्रणालियों के बारे में जागरुकता फैलानी होगी। उन्होंने विशेष रूप से प्राकृतिक खेती के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि छोटे किसानों, मछुआरों और पशुपालन के लिए पहल में पंचायतों की बड़ी भूमिका है।

इस अवसर पर मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह, केन्द्रीय राज्य मंत्री फग्गन कुलस्ते, साध्वी निरंजन ज्योति, कपिल मोरेश्वर पाटिल , संसद सदस्य और मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री भी उपस्थित थे।

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