रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों की बैठक में आतंकवाद के सभी रूपों को खत्म करने के लिए सामूहिक रूप से काम करने और इस तरह की गतिविधियों को सहायता व वित्तपोषण करने वालों की जवाबदेही तय करने का आह्वान किया है। 28 अप्रैल 2023 को नई दिल्ली में एससीओ सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि सभी तरह की आतंकवादी गतिविधियों या किसी भी रूप में इसका समर्थन मानवता के खिलाफ बड़ा अपराध है और शांति एवं समृद्धि इस खतरे के साथ बनी नहीं रह सकती है।
रक्षा मंत्री ने कहा “यदि एक राष्ट्र आतंकवादियों को शरण देता है, यह न सिर्फ दूसरों के लिए बल्कि स्वयं के लिए भी खतरा पैदा करता है यह उसके लिए भी खतरा है। युवाओं में उग्रवाद की प्रवृत्ति न सिर्फ सुरक्षा की दृष्टि से चिंता का विषय है, बल्कि यह समाज की सामाजिक-आर्थिक प्रगति की राह में एक बड़ी बाधा भी है। यदि हम एससीओ को एक सशक्त और अधिक विश्वसनीय अंतर्राष्ट्रीय संगठन बनाना चाहते हैं, तो आतंकवाद से प्रभावी रूप से निपटना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।”
राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि भारत क्षेत्रीय सहयोग के एक मजबूत ढांचे की परिकल्पना करता है जिसमें सभी सदस्य देशों की संप्रुभता और क्षेत्रीय अखंडता का पारस्परिक रूप से सम्मान हो और उनके वैधानिक हितों का ध्यान रखा जाए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि नई दिल्ली एससीओ के सदस्य देशों के बीच विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देने का प्रयास करती है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के प्रावधानों के अनुसार शांति और सुरक्षा को बनाए रखने में भरोसा रखती है।
राजनाथ सिंह ने 2018 में चीन के चिंगदाओ में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा प्रस्तुत की गई ‘सिक्योर’ की अवधारणा के बारे में भी बताया। उन्होंन कहा कि सिक्योर शब्द का हर अक्षर क्षेत्र के बहुआयामी कल्याण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करता है।
एस- सिक्योरिटी ऑफ सिटीजन्स (नागरिकों की सुरक्षा)
ई- इकॉनोमिक डेवलपमेंट फॉर ऑल (सभी के लिए आर्थिक विकास)
सी- कनेक्टिंग द रीजन (क्षेत्रीय जुड़ाव)
यू- यूनिटिंग द पीपुल (लोगों को एकत्रित करना)
आर- रीस्पेक्ट फॉर साव्रिन्टी एंड इंटेग्रिटी (संप्रभुता और अखंडता के लिए सम्मान)
ई- एंवायरमेंटल प्रोटेक्शन (पर्यावरण संरक्षण)
सदस्य देशों का ध्यान ‘सिक्योर’ के विभिन्न आयामों की ओर आकर्षित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि आज की दुनिया का एक बड़ा हिस्सा खाद्य संकट से जूझ रहा है। उन्होंने एससीओ सदस्य देशों से एकीकृत योजना के तहत खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह एससीओ को पूरी दुनिया के लिए एक रोल मॉडल के रूप में स्थापित करेगा। जलवायु परिवर्तन के मुद्दों से निपटने के लिए उन्होंने न्यूनीकरण और अनुकूलन को प्राथमिकता देते हुए एक साझी रणनीति के लिए काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा साझी रणनीति का हिस्सा होनी चाहिए।
राजनाथ सिंह ने सदस्य देशों के बीच पारस्परिकता को बढ़ाने के लिए एससीओ अध्यक्ष के रूप में भारत द्वारा शुरू की गई दो रक्षा संबंधी गतिविधियों का भी उल्लेख किया। ये हैं- ‘मानवीयता सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर)’ विषय पर कार्यशाला और ‘डिफेंस थिंक-टैंक ऑफ एससीओ कंट्रीस’ विषय पर सेमिनार। दोनों कार्यक्रमों में सभी एससीओ सदस्य देशों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखने को मिली।
राजनाथ सिंह ने क्षेत्र में किसी भी एचएडीआर अभियान के लिए पहले प्रतिक्रिया देने वाले और पसंदीदा भागीदार की भूमिका निभाने की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा, “चाहे वह कोविड-19 महामारी या तुर्की में आए हालिया भूकंप, भारत हमेशा ‘वसुधैव कुटुम्बकम (पूरी दुनिया एक परिवार है)’ की अपनी भावना के अनुरूप आगे बढ़ रहा है।
बैठक के बाद मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने कहा कि सभी सदस्य राष्ट्रों के साथ आतंकवाद से निपटने, विभिन्न देशों में कमजोर आबादी की सुरक्षा के साथ-साथ एचएडीआर सहित सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों पर सहमति बनी। उन्होंने कहा कि सभी सदस्य देश अपने वक्तव्य पर सहमत थे कि आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की जानी चाहिए और इसको खत्म किया जाना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले समय में सहयोग के लिए पहचाने गए कई क्षेत्रों पर कार्रवाई की जाएगी और एससीओ अध्यक्ष के रूप में भारत इस क्षेत्र व पूरे विश्व के लिए एक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने में आगे बढ़कर नेतृत्व करेगा।
इस बैठक में चीन के रक्षा मंत्री (जनरल ली शांगफू); रूस (जनरल सर्गेई शोइगू); ईरान (ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रजा घराई अश्तियानी); बेलारूस (लेफ्टिनेंट जनरल ख्रेनिन वीजी); कजाकिस्तान (कर्नल जनरल रुसलान झाक्सिल्यकोव); उज्बेकिस्तान (लेफ्टिनेंट जनरल बखोदिर कुर्बानोव); किर्गिस्तान (लेफ्टिनेंट जनरल बेकबोलोतोव बक्तीबेक असंकालिएविच) और ताजिकिस्तान (कर्नल जनरल शेराली मिर्जो) ने भाग लिया। मंत्रियों ने बैठक के दौरान एससीओ चार्टर के तहत क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों सहित साझी चिंता के मुद्दों पर चर्चा की।