संस्कृति मंत्रालय अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) के साथ मिलकर 5 मई को वैशाख पूर्णिमा के शुभ दिवस को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाएगा। आईबीसी हिमालयाई बौद्ध संस्कृति संघ (एचबीसीए) के सहयोग से राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में कार्यक्रम का आयोजन करेगा। संस्कृति मंत्रालय के तहत विभिन्न स्वायत्त बौद्ध संगठन और अनुदान प्राप्त करने वाले संस्थान इस अवसर पर अनेक कार्यक्रमों/समारोहों का आयोजन कर रहे हैं।

केंद्रीय बौद्ध अध्ययन संस्थान (सीआईबीएस), लेह के सभी कर्मचारी और 600 छात्र लेह के पोलो ग्राउंड में लद्दाख बौद्ध संघ (एलबीए) और लद्दाख गोन्पा संघ (एलजीए) द्वारा आयोजित किये जा रहे भव्य समारोह में शामिल होंगे। इस अवसर पर सीआईबीएस, लेह के छात्रों द्वारा ‘मंगलाचरण’ (आमंत्रण प्रार्थना) किया जाएगा। इसके अलावा, केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के सीआईबीएस, लेह के छात्रों द्वारा तैयार की गई दो झांकियों का भी प्रदर्शन किया जाएगा जिनमें गौतम बुद्ध के जन्म और पहले उपदेश का प्रदर्शन होगा।

प्रातः 6:00 बजे ‘बुद्ध जयंती समारोह’ के आयोजन के बाद केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान (सीआईएचटीएस), सारनाथ द्वारा इस अवसर पर शोध पत्रिका “डीएचआईएच” के 63वें संस्करण का विमोचन किया जाएगा।

नव नालंदा महाविहार (एनएनएम), नालंदा, (बिहार) के भिक्षु-छात्रों द्वारा बुद्ध मंदिर में पारंपरिक पूजा का आयोजन किया जाएगा, इसके बाद ‘बौद्ध धर्म और बिहार’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का भी आयोजन किया जाएगा।

केंद्रीय हिमालयाई संस्कृति अध्ययन संस्थान (सीआईएचसीएस), दाहुंग, अरुणाचल प्रदेश द्वारा इस शुभ अवसर पर पूजा समारोह और अन्य अनुष्ठानों के साथ-साथ वाद-विवाद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाएगा।

जेंटसे गादेन रबग्यैल लिंग (जीआरएल) मठ, अरुणाचल प्रदेश इस अवसर पर अपने भिक्षु-छात्रों द्वारा विश्व शांति प्रार्थना और ‘मंगलाचरण’ का आयोजन करेगा।

इस शुभ अवसर पर तिब्बत हाउस में आकांक्षी बोधिसत्व व्रत का आयोजन किया जाएगा।

तवांग मठ, अरुणाचल प्रदेश इस शुभ अवसर पर “बुद्ध के उपदेश, शांति और ध्यान” विषय पर भाषण-एवं व्याख्यान प्रतियोगिता का आयोजन करेगा।

‘लाइब्रेरी ऑफ़ तिब्बतन वर्क्स एंड आर्काइव्स’ (एलटीडब्ल्यूए), धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश, इस शुभ दिवस के उपलक्ष्य में 1 मई से 5 मई, 2023 तक एक ‘पशु चेतना सम्मेलन (एसीसी)’ का भी आयोजन करेगा।

वैशाख बुद्ध पूर्णिमा पूरे विश्व में बौद्धों के लिए वर्ष का सबसे पवित्र दिन होता है क्योंकि यह दिवस भगवान बुद्ध के जीवन की तीन मुख्य घटनाओं – जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण का प्रतीक है। यह दिन भारत में बौद्ध धर्म की उत्पत्ति के रूप में विशेष महत्व रखता है। वर्ष 1999 से इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘संयुक्त राष्ट्र के वैशाख दिवस’ के रूप में भी मान्यता दी गई है। इस वर्ष वैशाख बुद्ध पूर्णिमा 5 मई को मनाई जा रही है।

अभी हाल ही में, संस्कृति मंत्रालय ने पहले वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन (20-21 अप्रैल) का आयोजन किया है, जिसमें 30 देशों के 500 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए। इस शिखर सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। संस्कृति मंत्रालय ने अपने अनुदान प्राप्त करने वाले एक वैश्विक बौद्ध एम्ब्रेला निकाय आईबीसी के साथ मिलकर “साझी बौद्ध विरासत” पर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विशेषज्ञों की एक अंतर्राष्ट्रीय बैठक का 14 से 15 मार्च तक सफल आयोजन किया था, ताकि एससीओ देशों की बौद्ध कला में एक दूसरे के सांस्कृतिक संबंधों को पुनः स्थापित किया जा सके और समानताओं की तलाश की जा सके। आईबीसी का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।

 

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