केन्‍द्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा वस्‍त्र मंत्री पीयूष गोयल ने तीसरे भारत ऋण पूंजी बाजार शिखर सम्मेलन 2023 के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि अवसंरचना पर भारत का ध्यान अर्थव्यवस्था को सशक्त बना रहा है तथा इसे और अधिक गति प्रदान कर रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अवसंरचना की दिशा में सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों से व्‍यापक स्‍तर पर निवेश देश की ढांचागत क्षमताओं को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा कि वित्तपोषण का प्रतिस्पर्धी स्रोत उन लोगों से निवेश आकर्षित कर रहा है जो अधिक सुरक्षा की खोज में हैं। उन्होंने कहा कि शेयर बाजार भी पहली बार 4 ट्रिलियन का आंकड़ा छू रहा है और शीर्ष पांच वैश्विक बाजारों में से एक होने के कारण भारत के पास बड़े अवसर हैं। उन्होंने बताया कि देश विश्‍व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और इस तिमाही में 7.6 प्रतिशत की दर से सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।  गोयल ने यह उल्‍लेख करते हुए कि भारत दुनिया के एक विश्वसनीय भागीदार और एक जीवंत लोकतंत्र के रूप में बहुत उज्ज्वल भविष्य के शिखर पर खड़ा है जहां लोग कानून के शासन को स्‍वीकार करते हैं और उसका सम्मान करते हैं, कहा, “विश्‍व आज भारत पर भरोसा करता है।”

पीयूष गोयल ने कहा कि अमृत काल में हम एक विकसित भारत का स्‍वप्‍न देखते हैं जहां हम विकसित और समृद्ध भारत की दिशा में अपनी यात्रा पर हैं। उन्होंने कहा कि भारत 2047 तक अपने 3.7 ट्रिलियन डॉलर में 30 ट्रिलियन डॉलर और जोड़ लेगा।

उन्होंने कहा कि एक लचीला ऋण पूंजी बाजार नवोन्‍मेषण, उद्यमिता और अवसंरचना के विकास के लिए उत्प्रेरक होगा। उन्होंने कहा कि अगले कुछ दशकों में व्‍यापक स्‍तर पर शहरीकरण होगा, जबकि श्रेणी 2 शहर भी महानगर बनने जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की आय बढ़ रही है, जिससे देश भर में व्‍यय करने की शक्ति बढ़ रही है। एआई, सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहन जैसे भविष्य के सेक्‍टर हमारे भविष्य को शक्ति प्रदान करेंगे। हरित और टिकाऊ ऊर्जा ही भविष्‍य का रास्ता होगी और पूंजी बाजार तथा ऋण बाजार हमारी ऊर्जा को निम्न कार्बन अर्थव्यवस्था में रूपान्‍तरित करने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।  गोयल ने कॉर्पोरेट जगत से खोने के डर के बिना भारत में निवेश करने का आग्रह किया।

केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि 2010 और 2013 के बीच, निर्बल आर्थिक बुनियादी सिद्धांत थे, 2013 में विदेशी मुद्रा संकट और एफसीएनआर बांड विदेशी मुद्रा उधार पर काफी अधिक ब्याज दर का भुगतान करते हुए जुटाए गए थे, मुद्रास्फीति 10 प्रतिशत से 12 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर बनी रहती थी, बैंक ऋण अतार्किक रूप से बढ़ रहे थे, राजकोषीय घाटा अधिक था।

गोयल ने कहा कि भारत वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को 2021 के 500 बिलियन से लगभग 55 प्रतिशत बढ़ाकर पिछले वर्ष 776 बिलियन करने में सक्षम रहा है। उन्होंने कहा कि विश्‍व भर में दो संघर्ष चल रहे हैं और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंका है। उन्होंने कहा कि फिर भी उन्हें चालू वर्ष में निर्यात संख्या में वृद्धि का भरोसा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *