15 जनवरी, 2024 को मनाए जा रहे 76वें सेना दिवस समारोह के एक हिस्से के रूप में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित छावनी में सैन्य और युद्धक प्रदर्शनी कार्यक्रम ‘शौर्य संध्या’ का आयोजन किया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, आमंत्रित असैन्य अतिथियों और कई सैन्य कर्मियों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस आयोजन में कलारीपयट्टू व गतका जैसे मार्शल आर्ट का प्रदर्शन और पूर्वोत्तर के सैनिकों द्वारा की गई गतिविधियों का तालमेल शामिल था।
भारतीय सेना की डेयरडेविल्स मोटरसाइकिल टीम के रोमांचक प्रदर्शन के साथ-साथ रिमाउंट वेटरनरी कोर के आठ घोड़ों की टेंट पेगिंग और ट्रिक राइडिंग ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रांगण में आयोजित की गई प्रदर्शनी में आकाश मिसाइलें, के9 वज्र, एंटी-ड्रोन उपकरण, बोफोर्स बंदूकें, तोपखाने वाले हथियार की प्रणाली और भारतीय सेना द्वारा उपयोग किए जाने वाले अन्य उपकरण तथा तकनीकों का प्रदर्शन भी शामिल थे। भारतीय सेना के 12 जवानों द्वारा 8,000 फीट की ऊंचाई से पैराशूट के माध्यम से कॉम्बैट फ्री फॉल को पूरा किया। ‘शौर्य संध्या’ के दौरान एसयू-30 एमकेआई, सूर्यकिरण एरोबेटिक टीम और एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टरों ने आकाश को ज्योतिर्मय कर दिया।
रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में भारतीय सैनिकों के अद्वितीय चरित्र के बारे में चर्चा की, जो देश के सांस्कृतिक मूल्यों में निहित है। उन्होंने एक सैनिक के चार सबसे महत्वपूर्ण गुणों के रूप में देशभक्ति, साहस, मानवता और भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा को उल्लेखित किया। उन्होंने कहा कि ‘मैं रहूं या न रहूं, मेरा देश सुरक्षित रहे’ की भावना के साथ मातृभूमि की रक्षा करने वाला सैनिक ही अनुकरणीय राष्ट्रभक्त होता है। यही देशभक्ति एक सैनिक को साहस प्रदान करती है। संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों तथा आपदाओं के दौरान राहत एवं बचाव कार्यों में हमारे सैनिकों का योगदान अविस्मरणीय रहा है और इसके अलावा वर्ष 1971 के युद्ध के दौरान उन्होंने 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों के साथ जिस सम्मान के साथ व्यवहार किया था, वह इस बात का प्रमाण है कि उनमें मानवता का स्तर बहुत यह उच्च है। रक्षा मंत्री ने कहा कि हम अपने ही पड़ोस में ही सेना तथा उनके संवैधानिक मूल्यों के बीच अलगाव देख सकते हैं। लेकिन, संवैधानिक मूल्यों के प्रति भारतीय सेना का झुकाव अतुलनीय है और सभी इसे स्वीकार भी करते हैं।
इससे पूर्व दिन के समय 76वीं सेना दिवस परेड लखनऊ के ठाकुर श्योदत्त सिंह परेड ग्राउंड, 11 जीआरआरसी में आयोजित की गई थी। थल सेनाध्यक्ष ने परेड का निरीक्षण किया और वीरता पुरस्कार प्रदान किये। इस परेड में सम्मानित अतिथि के रूप में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ तथा अन्य वरिष्ठ सैन्य कर्मी भी शामिल हुए।
सेना दिवस हर वर्ष 15 जनवरी को भारतीय सेना के पहले कमांडर इन चीफ जनरल (बाद में फील्ड मार्शल) केएम करियप्पा की उपलब्धियों की स्मृति में मनाया जाता है। 1947 के युद्ध में भारतीय सेना को जीत दिलाने वाले जनरल करिअप्पा ने आज ही के दिन वर्ष 1949 में अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ जनरल सर एफआरआर बुचर से भारतीय सेना की कमान संभाली और फिर वे स्वतंत्र भारत के पहले कमांडर-इन-चीफ बने थे।