दुनिया के सबसे बड़े प्रत्यक्ष लाभ अंतरण कार्यक्रमों में से एक, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना ने एक नई और प्रमुख उपलब्धि प्राप्त कर ली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा महाराष्ट्र के यवतमाल से योजना की 16वीं किस्त जारी करने के साथ ही इस योजना से अब तक 3 लाख करोड़ रुपये वितरित होकर 11 करोड़ से अधिक पात्र किसान परिवारों को लाभ हो चुआ है। इसमें से 1.75 लाख करोड़ रुपये अकेले पात्र किसानों को केवल कोविड अवधि के दौरान अंतरित किए गए, जब उन्हें प्रत्यक्ष नकद लाभ की सबसे अधिक आवश्यकता थी।
देश में किसान परिवारों के लिए सकारात्मक पूरक आय सहायता की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए और उत्पादक, प्रतिस्पर्धी, विविध, समावेशी और टिकाऊ कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए, भारत सरकार ने 2 फरवरी 2019 को किसानों के कल्याण के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना – प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) शुरू की। योजना के अंतर्गत पात्र किसान परिवारों को 6000/- रुपये प्रति वर्ष का लाभ प्रदान किया जाता है। यह लाभ 2000/- रुपये तीन समान किस्तों में, हर चार महीने में प्रदान किया जाता है। आधुनिक डिजिटल तकनीक का उपयोग करके प्रत्यक्ष लाभ अंतरण माध्यम से लाभ सीधे पात्र लाभार्थियों के बैंक खातों में अंतरित किया जाता है।
90 लाख नये लाभार्थी जुड़े
हाल ही में, 2.60 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों में सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की पूर्ति सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई विकसित भारत संकल्प यात्रा के हिस्से के रूप में, 90 लाख पात्र किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से जोड़ा गया था।
पिछले पांच वर्षों में, इस योजना ने कई प्रमुख उपलब्धियां प्राप्त की हैं और अपनी व्यापक दृष्टि, पैमाने और पात्र किसानों के खातों में सीधे धन के निर्बाध अंतरण के लिए विश्व बैंक सहित विभिन्न संगठनों से प्रशंसा प्राप्त की है।
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) द्वारा उत्तर प्रदेश के किसानों के बारे में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि प्रधानमंत्री-किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत लाभ अधिकांश किसानों तक पहुंचा और उन्हें बिना किसी भ्रष्टाचार के पूरी राशि प्राप्त हुई। उसी अध्ययन के अनुसार, प्रधानमंत्री-किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत नकद लाभ अंतरण प्राप्त करने वाले किसानों द्वारा कृषि उपकरण, बीज, उर्वरक और कीटनाशकों की खरीद में निवेश करने की अधिक संभावना थी।
पारदर्शिता के लिए प्रौद्योगिकी
योजना को अधिक कुशल, प्रभावी और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से, किसान-केंद्रित डिजिटल बुनियादी ढांचे में निरंतर सुधार किए गए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि योजना का लाभ बिना किसी बिचौलिए की भागीदारी के देश भर के सभी किसानों तक पहुंचे। प्रधानमंत्री-किसान सम्मान निधि योजना पोर्टल को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई), सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस), भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) और आयकर विभाग के पोर्टल के साथ एकीकृत किया गया है। किसानों को त्वरित सेवाएं प्रदान करने के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेश और अन्य सभी हितधारक प्रधानमंत्री-किसान सम्मान निधि मंच में शामिल हैं।
इसके अलावा किसान अपनी शिकायतें पीएम-किसान पोर्टल पर दर्ज कर सकते हैं और प्रभावी और समय पर समाधान के लिए 24 घंटे और सातों दिन कॉल सुविधा की मदद ले सकते हैं। भारत सरकार ने ‘किसान ई-मित्र’ (एक आवाज-आधारित एआई चैटबॉट) भी विकसित किया है। यह किसानों को वास्तविक समय में अपनी भाषा में प्रश्न पूछने और उनका समाधान करने में सक्षम बनाता है। किसान-ईमित्र अब 10 भाषाओं यानी अंग्रेजी, हिंदी, उड़िया, तमिल, बांग्ला, मलयालम, गुजराती, पंजाबी, तेलुगु और मराठी में उपलब्ध है।
यह योजना सहकारी संघवाद का एक उत्कृष्ट उदाहरण है क्योंकि राज्य किसानों की पात्रता को पंजीकृत और सत्यापित करते हैं जबकि भारत सरकार इस योजना के लिए 100 प्रतिशत धन उपलब्ध कराती है। योजना की समावेशी प्रकृति इस तथ्य में दिखाई देती है कि चार लाभार्थियों में से कम से कम एक महिला किसान है। इसके अलावा 85 प्रतिशत से अधिक छोटे और सीमांत किसान इस योजना के अंतर्गत लाभार्थी हैं।