केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोमवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय राजधानी सहित देश भर में चल रहे मानसून के मौसम के मद्देनजर जनता की चिंताओं और सुझावों पर विचार करने के लिए आयोजित एक विशेष उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। बैठक के दौरान डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि दिल्ली में मौसम और वर्षा पूर्वानुमान प्रणाली में बड़े पैमाने पर सुधार किया जाएगा।उन्होंने कहा कि पूर्वानुमान प्रणाली को जनता के अनुकूल बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा, ताकि नागरिकों के लिए जीवन को सुगम बना जा सके और सुविधा प्रदान की जा सके तथा अप्रत्याशित मौसम परिवर्तनों के कारण मानव दिवसों के साथ-साथ आर्थिक नुकसान को भी बचाया जा सके।वर्तमान में दिल्ली में 17 स्वचालित मौसम पूर्वानुमान केंद्र हैं। केंद्रीय मंत्री ने जल्द से जल्द 50 और प्रणाली स्थापित करने तथा बाद में इन प्रणालियों की संख्या 100 तक बढ़ाने के निर्देश दिए। इसका उद्देश्य स्वचालित मौसम पूर्वानुमान प्रणालियों (एडब्ल्यूएस) की संख्या को 100 तक ले जाना तथा इसे वैश्विक मानकों के बराबर लाना है। ये स्वचालित मौसम पूर्वानुमान प्रणालियां बहुत ही विशिष्ट, सटीक तथा समय-समय पर पूर्वानुमान प्रदान करती हैं।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग तथा अंतरिक्ष विभाग तथा कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दिल्ली और विशेष रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के मानसून के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। उन्होंने देश भर में मौसम पूर्वानुमान प्रणालियों के उन्नयन की समीक्षा भी की।डॉ. जितेन्द्र सिंह ने उन्नयन के बारे में बताया कि आने वाले समय में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 3 रडार और 180 स्वचालित मौसम पूर्वानुमान प्रणालियाँ स्थापित की जाएँगी। उन्होंने कहा कि मुंबई में 2 रडार लगाए जा चुके हैं और 4 और रडार लगाने की प्रक्रिया चल रही है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि चेन्नई में 3 रडार पहले से ही मौजूद हैं और कोलकाता में भी एक और रडार लगाया जाएगा।डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, “यह उन्नयन केवल मेट्रो शहरों में ही नहीं, बल्कि अन्य शहरों के साथ-साथ 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में भी जारी रहेगा और इसे छोटे शहरों तथा अन्य दूरदराज के इलाकों में भी यह उन्नयन किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) भविष्य के लिए तैयार उन्नत मौसम पूर्वानुमान मॉडल के साथ एक बड़े उन्नयन कार्य पर काम कर रहा है, जिसे दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) डेटा के साथ मजबूत किया गया है।डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि उन्नयन के हिस्से के रूप में 20 पेटाफ्लॉप की क्षमता वाली एक उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली स्थापित की जाएगी। केंद्रीय मंत्री ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जिला अधिकारियों, सशस्त्र बलों और आपदा प्रबंधन अधिकारियों के साथ डेटा साझा करने के भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के प्रयासों की प्रशंसा की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई अंतरिक्ष नीति और नई भू-स्थानिक नीति के कई गुना लाभों पर प्रकाश डाला। उन्होंने हाल ही में शुरू किए गए जियोपोर्टल और इसके उपयोगों का भी उल्लेख किया। उन्होंने यह भी बताया कि मौसम पूर्वानुमान में भी इसी तरह के प्रयास किए जा सकते हैं और इससे समाज पर बड़ा और व्यापक प्रभाव डाला जा सकता है।

बैठक में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्रा और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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