दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) ने दो महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर करके दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। पहला समझौता ज्ञापन “डीईपीडब्ल्यूडी” और “‘इनेबल मी’ एक्सेस एसोसिएशन (ईएमए)” के बीच संपन्न हुआ। दूसरा समझौता ज्ञापन भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र (आईएसएलआरटीसी) और यूनीकी के बीच किया गया।‘इनेबल मी’ एक्सेस एसोसिएशन के साथ हुए समझौता ज्ञापन में दो उन्नत सुगम्यता संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रमों का शुभारंभ शामिल है। ये प्रशिक्षण कार्यक्रम केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के पैनल एक्सेसिबिलिटी ऑडिटरों और इंजीनियरों के लिए होंगे। दोनों समझौते दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) ने सचिव राजेश अग्रवाल के मार्गदर्शन में हुए।
इस समझौते का मुख्य उद्देश्य भारतीय सुगम्यता संबंधी मानकों का उपयोग करके यूनिवर्सल डिजाइन के बारे में प्रशिक्षण प्रदान करना और इन मानकों के ज्ञान के प्रसार के लिए एकीकृत उपकरण बनाना, डीईपीडब्ल्यूडी द्वारा चिन्हित किए गए विभिन्न समूहों को भारतीय सुगम्यता मानकों के बारे में संयुक्त प्रशिक्षण प्रदान करना, सुगम्यता संबंधी शिक्षा के लिए एक सॉफ्टवेयर टूल विकसित करना, सुगम्य भारत अभियान 2.0 का समर्थन करने तथा आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम-2016 एवं अन्य अनिवार्य दिशानिर्देशों को कमजोर करने वाली नीतियों को रेखांकित करने व उन्हें सुधारने में डीईपीडब्ल्यूडी की सहायता करना है।आईएसएलआरटीसी और यूनिकी के बीच हुए समझौता ज्ञापन का प्राथमिक उद्देश्य बधिर समुदाय और उनके युवाओं को मुफ्त एवं सुलभ कौशल प्रदान करना है। इस कौशल ज्ञान के साथ, बधिर युवा अपने करियर को आगे बढ़ाने, उच्च गुणवत्ता वाली नौकरियां पाने और अपनी वर्तमान नौकरियों में पदोन्नति हासिल करने में सक्षम होंगे। यह कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम बधिर युवाओं को अपने जुनून को पूरा करने, फ्रीलांसिंग के माध्यम से जीविकोपार्जन करने और आजीविका के मामले में आत्मनिर्भर बनने में सक्षम बनाएगा।
एमओयू पर हस्ताक्षर के दौरान संयुक्त सचिव राजीव शर्मा, निदेशक होनारेड्डी एन, यूनिकी के चैतन्य कोथापल्ली, ‘इनेबल मी’ एक्सेस एसोसिएशन के अध्यक्ष पीटर गिब्सन और सह-संस्थापक एवं निदेशक अनुभा सिंघल उपस्थित थीं।