भारत को ‘विश्व की फार्मेसी’ की अपनी वैश्विक प्रतिष्ठा के अनुरूप औषधि विनियमन में वैश्विक अग्रणी देश बनने के लिए, हमें अपने परिचालन के पैमाने और अंतर्राष्ट्रीय अपेक्षाओं के अनुरूप विश्व स्तरीय नियामक व्यवस्था की आवश्यकता है।” यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने बुधवार को औषधियों, सौंदर्य प्रसाधनों और चिकित्सा उपकरणों के विनियमन की समीक्षा करते हुए कही। उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा, भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) डॉ राजीव सिंह रघुवंशी और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।दवाओं के अग्रणी उत्पादक और निर्यातक के रूप में भारत की वैश्विक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए, जे पी नड्डा ने सीडीएससीओ द्वारा अपने कार्यादेश के तहत वैश्विक मानकों को प्राप्त करने की समयसीमा के साथ एक रोडमैप तैयार करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एकरूपता, तकनीकी उन्नयन और भविष्य-उन्मुख दृष्टिकोण के उच्चतम मानकों पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्नयन को प्रणाली-आधारित होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स के निर्यात के लिए, उचित हस्तक्षेप के लिए प्रणाली तैयार की जानी चाहिए, ताकि निर्यात की जा रही औषधियों की गुणवत्ता बनाए रखी जा सके।

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