रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के समन्वय में रेल मंत्रालय के साथ राजकीय रेलवे पुलिस प्रमुखों का 5वां अखिल भारतीय सम्मेलन आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम यात्री सुरक्षा, अपराध कम करने की रणनीतियों और बेहतर रेलवे सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण जनशक्ति आवश्यकताओं पर विचार-विमर्श करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों और सुरक्षा बलों का नेतृत्व करने वालों को एक मंच पर लाया।

सुरक्षा ढांचे का आधुनिकीकरण सम्मेलन की शुरुआत रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सतीश कुमार के मुख्य भाषण के साथ हुई, जिन्होंने यात्री शिकायतों और मामलों के दर्ज करने पर विशेष ध्यान देने के साथ देश भर में लाखों रेल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में जीआरपी और आरपीएफ के बीच सहयोगात्मक दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते, ऑपरेशन आहट और मेरी सहेली जैसी विभिन्न पहलों के माध्यम से रेलवे में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आरपीएफ के प्रयासों की भी सराहना की।

डीजी आरपीएफ मनोज यादव ने उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए, विशेष रूप से बढ़ते यात्री अपराधों को संभालने में सुरक्षा ढांचे के आधुनिकीकरण की आवश्यकता पर बल दिया।रेलवे पुलिसिंग को नया स्वरूप देते नए आपराधिक कानूनचर्चाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रेल मदद पोर्टल पर दर्ज यात्री शिकायतों और वास्तविक रूप से दर्ज किए जा रहे मामलों के तुलनात्मक विश्लेषण के इर्द-गिर्द केंद्रित रही जिसमें रेलवे में होने वाले बड़े अपराधों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। नए आपराधिक कानूनों का कार्यान्वयन एक प्रमुख केंद्र बिंदु था, जिसमें जीरो एफआईआर के कुशल प्रबंधन और राज्यों में तेजी से अपराध रिपोर्टिंग, सुव्यवस्थित साक्ष्य प्रबंधन और प्रभावी जांच को सुविधाजनक बनाने के लिए ई-एफआईआर सिस्टम के एकीकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।

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