लखनऊ: 06 जनवरी, 2025 प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज कला एवं शोध को समर्पित उत्तर प्रदेश डिजाइन एवं शोध संस्थान, लखनऊ के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने संस्थान द्वारा कला, डिजाइन और शोध के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की सराहना की और इसे प्रदेश के कारीगरों, बुनकरों और हस्तशिल्पियों के लिए महत्वपूर्ण बताया। राज्यपाल ने कहा कि संस्थान के म्यूजियम और पुस्तकालय में कला प्रेमियों, शिक्षकों और शोधार्थियों के लिए उत्कृष्ट संकलन उपलब्ध है, जिसका लाभ केवल संस्थान से जुड़े प्रशिक्षणार्थी ही नहीं, बल्कि अन्य शैक्षणिक संस्थानों के छात्र-छात्राएं भी ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस संग्रहालय और पुस्तकालय का अधिक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि संस्थान द्वारा कारीगरों और बुनकरों को उन्नत तकनीकी और कौशल का प्रशिक्षण देकर उनके उत्पादों में आधुनिकता और पारंपरिकता का समन्वय किया जा रहा है। इससे उनके उत्पादों की बाजार में मांग बढ़ रही है और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि संस्थान ने ‘एक जिला-एक उत्पाद’, ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ और अन्य सरकारी योजनाओं के अंतर्गत अब तक 35 जिलों के लगभग 75,000 से अधिक कारीगरों और बुनकरों को प्रशिक्षित किया है। राज्यपाल जी ने निर्देश दिया कि संस्थान निर्धन और जरूरतमंद महिलाओं के लिए विशेष बैच चलाकर उन्हें कार्यात्मक प्रशिक्षण प्रदान करे, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। उन्होंने कहा कि यह प्रयास समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान होगा।
राज्यपाल ने क्राफ्टरूट्स संस्था द्वारा हस्तशिल्प कलाओं को वैश्विक बाजार तक पहुंचाने और टेक्निकल सपोर्ट के लिए आई0आई0टी0, कानपुर के साथ किए गए समझौते की सराहना की। उन्होंने कहा कि देश के 22 से अधिक राज्यों की लगभग 70 से अधिक हस्तकलाओं एवं कारीगरों के उन्नयन हेतु संस्था कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग द्वारा स्टार्टअप्स को बढ़ावा देकर युवाओं को रोजगार प्रदाता के रूप में तैयार किया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने हस्तशिल्प के महत्व और कारीगरों की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि हस्तशिल्प का कार्य अत्यधिक मेहनत और समय लेने वाला होता है। कारीगर और बुनकर हमारी संस्कृति और कलाओं को पीढ़ी दर पीढ़ी संरक्षित करने का कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि हाथों से बनी वस्तुएं अमूल्य होती हैं और इन कारीगरों का सम्मान होना चाहिए, क्योंकि वे हमारी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का कार्य कर रहे हैं।उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश दौरों के दौरान भारतीय हस्तशिल्प और पारंपरिक वस्तुओं को उपहार स्वरूप भेंट करके उनकी विशेषताओं को दुनिया के सामने प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री जी के गुजरात में खादी को बढ़ावा देने के प्रयासों की प्रशंसा की, जिससे खादी आज एक ब्रांड बन चुका है। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को अपने नियमों में लचीलापन लाना चाहिए, विशेष रूप से कला विश्वविद्यालयों को। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसी महिलाएं या पुरुष, जो अनपढ़ हैं लेकिन जिनमें उत्कृष्ट कौशल है, को नामांकन का अवसर मिलना चाहिए। साथ ही, उन्हें घर से ही काम करने और अपने कौशल को आगे बढ़ाने की सुविधाएं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अपनी मानसिकता बदलनी होगी, तभी देश बदलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि कारीगरों और बुनकरों से संवाद करना और उनके अनुभवों से सीखना आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हस्तशिल्प के उत्पादों की कीमत उनके निर्माण में लगने वाले समय और मेहनत के आधार पर तय की जानी चाहिए। कार्यक्रम में राज्यपाल ने उच्चतम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया और उनके कार्यों की प्रशंसा करते हुए उन्हें प्रोत्साहित किया। उन्होंने बच्चों को बेहतर भविष्य के लिए प्रेरित किया और उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने विभिन्न कारीगरों द्वारा लगाए गए स्टालों का भ्रमण किया और उनके अद्वितीय कौशल और कलाकृतियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। इस अवसर पर उन्होंने आवर्तनम ‘त्मअपअंस वि ज्तंकपजपवदे‘ पुस्तक का विमोचन भी किया। राज्यपाल जी ने संस्थान में संरक्षित विभिन्न अमूल्य कलाकृतियों और दुर्लभ पुस्तकों का अवलोकन किया तथा उनकी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्ता की सराहना की। उत्तर प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री राकेश सचान जी ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा कला एवं कौशल को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे कार्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सरकार कला और कौशल के विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और उत्तर प्रदेश डिजाइन एवं शोध संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा देने की दिशा में विचार विमर्श कर रही है। उन्होंने बताया कि संस्थान समृद्ध हस्तशिल्प और परंपरागत कलाओं को आगे बढ़ाने के लिए एक अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि संस्थान द्वारा ‘एक जिला-एक उत्पाद’ योजना, ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ और ‘हस्तशिल्प प्रोत्साहन नीति’ के तहत कारीगरों और बुनकरों को प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। यह संस्थान न केवल कला के संरक्षण का कार्य कर रहा है, बल्कि युवाओं को नए कौशल और नवाचार के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी कर रहा है। इस अवसर पर कार्यक्रम में प्रमुख सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग, आलोक कुमार जी, उत्तर प्रदेश डिजाइन एवं शोध संस्थान लखनऊ की अध्यक्ष क्षिप्रा शुक्ला, नोएडा अपैरल एक्सपोर्ट क्लस्टर के अध्यक्ष ललित ठुकराल, संस्थान के विद्यार्थी, कारीगर तथा अन्य विशिष्ट व्यक्ति उपस्थित रहे।