लखनऊ: 15 अप्रैल, 2025. उत्तर प्रदेश लोक कला एवं जनजाति संस्कृति संस्थान (संस्कृति विभाग) द्वारा प्रदेश में व्यापक स्तर पर ग्रीष्मकालीन ‘सृजन’ कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। इन कार्यशालाओं का उद्देश्य प्रदेश की पारंपरिक, विलुप्तप्राय और लोक संस्कृति से जुड़ी कलाओं को पुनर्जीवित करना तथा युवाओं में रचनात्मकता और सांस्कृतिक चेतना को प्रोत्साहित करना है। बुंदेली चितेरी लोककला, देढिया नृत्य, मूंज गेंहू की डंठल से बनी चित्रकारी जैसी अनेक विधाओं की कार्यशालाएं पूरे प्रदेश भर में 15 से 25 अप्रैल तक आयोजित की जा रही हैं।प्रदेश के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने यह जानकारी आज यहां दी। उन्होंने बताया कि कार्यशालाओं के प्रथम चरण की शुरुआत ’बिजनौर, बाराबंकी’ और ’संतकबीरनगर’ से की गई है। बिजनौर में वर्धमान कॉलेज परिसर में आयोजित सात दिवसीय चित्रकला कार्यशाला में छात्र-छात्राओं, नवोदित चित्रकारों एवं कला में रुचि रखने वाले प्रतिभागियों को पारंपरिक एवं आधुनिक चित्रकला की विभिन्न विधाओं में प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।इसी प्रकार बाराबंकी में पी.एम. श्री राजकीय बालिका इंटर कॉलेज के सहयोग से 15 से 25 अप्रैल, 2025 तक अवधी लोकगीतों पर आधारित कार्यशाला आयोजित हो रही है, जो दोपहर 12 से अपराह्न 3 बजे तक चलती है। इसमें छात्राओं, स्थानीय कलाकारों एवं लोक संस्कृति विशेषज्ञों की भागीदारी से पारंपरिक गीतों को संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसी तर्ज पर संतकबीरनगर में दस दिवसीय लोक गायन कार्यशाला का भी शुभारंभ आज से हो गया है।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि कार्यशालाओं के प्रथम दिन ही प्रतिभागियों में अद्भुत उत्साह देखने को मिला। यह दर्शाता है कि हमारी युवा पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक जड़ों को जानने और सहेजने के लिए उत्सुक है। यही हमारी सबसे बड़ी सफलता है। प्रदेश के किसी भी विद्यालय या महाविद्यालय द्वारा कार्यशाला आयोजित कराने हेतु उत्तर प्रदेश लोक कला एवं जनजाति (संस्कृति संस्थान) से संपर्क किया जा सकता है। इच्छुक संस्थान ’आवेदन पत्र’ के माध्यम से संस्थान को जवाहर भवन, नवम तल, अशोक मार्ग, लखनऊ पर भेज सकते हैं। सभी कार्यशालाएं ’निःशुल्क’ आयोजित की जा रही हैं।

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