हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पदभार ग्रहण करने के बाद राष्ट्रीय राजधानी की अपनी पहली यात्रा में मंगलवार को केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह से उनके आवास पर मुलाकात की।

डेढ़ घंटे से ज्यादा समय तक चली इस बैठक में, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने विभिन्न क्षेत्रों, विशेष रूप से बागवानी और कृषि, अरोमा मिशन और लैवेंडर उद्यमिता में केंद्रीय समर्थन और सहयोग की मांग की, इन क्षेत्रों का उपयोग आजीविका, स्टार्ट-अप और सामान्य रूप से पहाड़ी राज्य के लोगों के लिए फायदेमंद बनाने के लिए किया जा सकता है।

केंद्रीय मंत्री ने हिमाचल प्रदेश के सभी क्षेत्रों की तकनीकी प्रगति में हरसंभव केंद्रीय सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया। बैठक के दौरान कृषि-तकनीकी स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने और जम्मू की लैवेंडर खेती जैसी सफल प्रथाओं को राज्य में लागू करने के लिए मार्ग तैयार करने की संभावनाओं पर भी विस्तार से चर्चा की गई।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर हिमाचल प्रदेश जैसे पर्वतीय राज्यों को अभी भी अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए पर्याप्त तकनीकी अनुभव प्राप्त नहीं हो रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री को पूर्ण तकनीकी सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया, चाहे वह डॉपलर के माध्यम से मौसम की भविष्यवाणी करनी हो, एसएमएस के माध्यम से किसानों को मौसम का अलर्ट प्रदान करना हो या राज्य के युवाओं के बीच कृषि-तकनीकी स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना हो।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के युवाओं के बीच भविष्य की तकनीक को बढ़ावा देने की आवश्यकता है जिससे वे देश में चल रही वैज्ञानिक क्रांति का पूरा लाभ प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रौद्योगिकी का अधिकतम लाभ उठाने के लिए हमेशा जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग करने की बात की है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि दूध से समृद्ध राज्य होने के कारण हिमाचल प्रदेश में डेयरी स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने राज्य के स्टार्ट-अप में युवाओं को शामिल करने का भी सुझाव दिया और कहा कि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं के लिए राज्य में ही अधिक रोजगार का अवसर उत्पन्न करने के लिए स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) का गठन करना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश विविध संसाधनों की भूमि होने के कारण बायोटेक पार्क के लिए एक उपयुक्त स्थान हो सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री को इसके लिए सभी केंद्रीय सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि बादल फटना हिमाचल प्रदेश की आम समस्याओं में से एक है और इससे फसलों और जंगलों को बहुत नुकसान पहुंचता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रडार के माध्यम से 100 प्रतिशत मौसम सटीकता प्राप्त करना संभव है, जो ऐसी स्थिति में सुरक्षात्मक उपाय करने में सहायता प्रदान कर सकती है।

 

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