केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के मेल से ”सहकारिता के क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना“ के लिए एक अंतर-मंत्रालयीय समिति (आईएमसी) के गठन और सशक्तिकरण को मंज़ूरी प्रदान की।
योजना का प्रोफेशनल तरीके से समयबद्ध और एकरूपता के साथ कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए सहकारिता मंत्रालय देश के विभिन्न राज्यों/संघराज्य क्षेत्रों में कम से कम 10 चुने हुए जिलों में एक पायलट परियोजना चलाएगा। यह पायलट प्रोजेक्ट, इस योजना की विभिन्न क्षेत्रीय आवश्यकताओं के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा जिसे इस योजना के देशव्यापी कार्यान्वयन में शामिल किया जाएगा।
कार्यान्वयन
मंज़ूर व्यय और निर्धारित लक्ष्यों के भीतर चुने गए ‘वायबल’ प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों (PACS) में कृषि और संबंधित उद्देश्यों के लिए गोदाम आदि के निर्माण के माध्यम से ‘सहकारिता क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना‘ के लिए संबंधित मंत्रालयों की योजनाओं के दिशानिर्देशों/कार्यान्वयन पद्धतियों में आवश्यकता के अनुसार संशोधन करने के लिए सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में अंतर-मंत्रालयीय समिति (आईएमसी) का गठन किया जाएगा जिसमें कृषि और किसान कल्याण मंत्री, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री और संबंधित मंत्रालयों के सचिव, सदस्य के रूप में शामिल होंगे।
इस योजना को संबंधित मंत्रालयों की चिह्नित योजनाओं के तहत उपलब्ध कराए गए परिव्यय का उपयोग कर कार्यान्वित किया जाएगा। इस योजना के तहत कन्वर्जेंस के लिए निम्नलिखित योजनाएं चिह्नित की गई हैं:
(क) कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय:
कृषि अवसंरचना कोष (AIF),
कृषि विपणन अवसंरचना योजना (AMI),
एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH),
कृषि यांत्रिकीकरण पर उपमिशन (SMAM)
(ख) खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय:
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना (PMFME),
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY)
(ग) उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय:
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत खाद्यान्नों का आवंटन,
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद
योजना के अनुमानित लाभ
सरकार की तरफ से बताया गया है कि मौजूदा योजना बहुआयामी है- यह न केवल पैक्स के स्तर पर गोदामों के निर्माण द्वारा देश में भंडारण के इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमियों को दूर करेगी बल्कि पैक्स को कई अन्य गतिविधियां करने के लिए भी सक्षम बनाएगी, जैसे:
राज्य एजेंसियों/भारतीय खाद्य निगम (FCI) के लिए प्रोक्योरमेंट सेंटर्स के रूप में कार्य करना;
उचित दर दुकानों (FPS) के रूप में सेवा प्रदान करना;
कस्टम हायरिंग सेंटर्स स्थापित करना;
कॉमन प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करना जिसमें कृषि उपजों की जांच, छंटाई, ग्रेडिंग इकाई, आदि शामिल हैं।
इसके अलावा, स्थानीय स्तर पर विकेंद्रीकृत भंडारण क्षमता बनने से खाद्यान्न की बर्बादी कम होगी और देश में खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी।
किसानों को विभिन्न विकल्प प्रदान करके फसलों की बहुत कम मूल्य पर आकस्मिक बिक्री रुकेगी और किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त हो सकेगा।
इससे खरीद केन्द्रों तक और फिर वेयरहाउस से उचित दर दुकानों तक खाद्यान्नों के परिवहन में होने वाले व्यय में भारी कमी आएगी।
‘Whole of Government’ अप्रोच से यह योजना पैक्स को उनकी व्यावसायिक गतिविधियों को विविधतापूर्ण बनाकर उन्हें सशक्त करेगी जिसके परिणामस्वरूप किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।
समय-सीमा और कार्यान्वयन पद्धति
मंत्रिमंडलयीय मंज़ूरी के एक सप्ताह के भीतर राष्ट्रीय स्तर की समन्वय समिति का गठन किया जाएगा।
मंत्रिमंडलयीय मंज़ूरी के 15 दिनों के भीतर कार्यान्वयन दिशानिर्देश जारी कर दिए जाएंगे।
मंत्रिमंडलयीय मंज़ूरी के 45 दिनों के भीतर पैक्स को भारत सरकार और राज्य सरकारों के साथ लिंक करने के लिए एक पोर्टल शुरू किया जाएगा ।
मंत्रिमंडलयीय मंज़ूरी के 45 दिनों के भीतर प्रस्ताव का कार्यान्वयन शुरू हो जाएगा।
पृष्ठभूमि
सहकारिता मंत्रालय ‘विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना’ लाया है। इस योजना में पैक्स के स्तर पर भंडारण गृह, कस्टम हायरिंग सेंटर्स, प्रसंस्करण इकाई आदि कई तरह की कृषि अवसंरचनाएं स्थापित करना शामिल है जिससे पैक्स को बहुउद्देशीय बनाया जा सके। आशा है कि पैक्स के स्तर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण और उसके आधुनिकीकरण से पर्याप्त भंडारण क्षमता निर्माण से खाद्यान्नों की बरबादी में कमी आएगी, देश की खाद्य सुरक्षा सशक्त होगी और किसानों को अपनी फसलों का बेहतर मूल्य प्राप्त होगा। देश में लगभग 1,00,000 प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियां (पैक्स) हैं जिनके सदस्य देश के 13 करोड़ से भी अधिक किसान हैं।