भारत की प्राचीन समृद्ध समुद्री परंपरा एक बार फिर साकार होने को तैयार है, ऐसे जहाज जो पहले कभी भारत के प्राचीन समुद्री व्यापार मार्गों पर यात्रा करते थे उनको फिर से सरकार की पहल पर निर्मित किया जाएगा, इस पहल के तहत भारतीय नौसेना, संस्कृति मंत्रालय और मेसर्स होदी इनोवेशन, गोवा, जोड़कर बनाए जाने वाले जहाज को तैयार करने के लिए सहयोग कर रहे हैं।
यह पहल कई मंत्रालयों के सहयोगात्मक प्रयास का प्रतिनिधित्व करती है। भारतीय नौसेना जहाज के डिजाइन और निर्माण की देखरेख कर रही है। इस जहाज को प्राचीन समुद्री व्यापार मार्गों पर चलाया जाएगा। संस्कृति मंत्रालय ने इस परियोजना को पूरी तरह से वित्तपोषित किया है, जबकि पोत परिवहन मंत्रालय और विदेश मंत्रालय निर्बाध अंतरराष्ट्रीय यात्रा को सुनिश्चित करने के लिए परियोजना का समर्थन कर रहे हैं।
इस परियोजना को 14 दिसंबर 2022 को एक स्मारक परियोजना के रूप में गृहमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कार्यान्वयन समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था । भारतीय नौसेना के नौसेना वास्तुकला निदेशालय ने संस्कृति मंत्रालय के साथ कई दौर की चर्चा की। इस सिलसिले में 18 जुलाई 2023 को जोड़कर बनाए जाने वाले जहाजों की प्राचीन निर्माण कला को ध्यान में रखते हुए मैसर्स होदी इनोवेशन, गोवा के साथ एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
इस जहाज का निर्माण बाबू शंकरन के नेतृत्व में पारंपरिक जहाज निर्माताओं की एक टीम द्वारा किया जाएगा। बाबू शंकरन इस तरह के जहाज निर्माण में विशेषज्ञ हैं। इस सदियों पुरानी तकनीक का उपयोग करके, लकड़ी के तख्तों को पतवार के आकार के अनुरूप पारंपरिक स्टीमिंग विधि का उपयोग करके आकार दिया जाएगा। फिर प्रत्येक तख्ते को नारियल के रेशे, राल और मछली के तेल के मिश्रण से सील करके डोरियों/रस्सियों के सहारे एक-दूसरे के साथ बांध दिया जाएगा।
जहाज तैयार हो जाने के बाद, भारतीय नौसेना प्राचीन नौवहन तकनीकों का उपयोग करके पारंपरिक समुद्री व्यापार मार्गों पर एक अनोखी यात्रा शुरू करेगी। पुनर्जीवन और पुनरुद्धार की यात्रा 12 सितंबर 2023 को मेसर्स होदी इनोवेशन, गोवा में आयोजित शिलान्यास समारोह के साथ शुरू होगी। संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगी। इस अवसर पर एडमिरल आर हरि कुमार, सीएनएस और प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल भी उपस्थित रहेंगे।